स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण 'स्वर' कहलाते हैं।
व्याकरण में परम्परागत रूप से स्वरों की संख्या 11 मानी गई है।
अ, आ, इ, ई, उ,
ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ,
औ
स्वरों के भेद
स्वरों के दो भेद होते हैं।
ह्रस्व स्वर
वह स्वर जिनको सबसे कम समय में उच्चारित किया जाता है। ह्रस्व स्वर कहलाते हैं।
जैसे- अ, इ, उ, ऋ
दीर्घ स्वर
वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता है।
जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
हिन्दी वर्णमाला में ५२ अक्षर होते है , जो कि निम्न है :-
स्वर :-
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ
व्यंजन :-
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण (ड़, ढ़)
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
स श ष ह
क्ष त्र ज्ञ
नोट :- यह वर्णमाला देवनागरी लिपि की है। देवनागरी लिपि में संस्कृत,मराठी,कोंकणी ,नेपाली,मैथिली आदि भाषाएँ लिखी जाती है।यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात है कि हिंदी में ॠ ऌ ॡ का प्रयोग प्रायः नहीं होता।
हिन्दी वर्णमाला में ११ स्वर तथा ३३ व्यंजन गिनाए जाते हैं, परन्तु इनमें ड़्, ढ़्, अं, तथा अः जोड़ने पर हिन्दी के वर्णों की कुल संख्या ४८ हो जाती है।
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